गुरु को सर्वोपरि मानने वाली प्रोफेसर (डॉ.) राधा गुप्ता (गोयल) प्रारम्भ से ही अध्ययन प्रेमी और कर्मठ रही हैं । आपने स्नातकोत्तर डिप्लोमा श्रम कानूनमें प्रथम स्थान एवं चार विषयों में एलएल.एम. किया ( श्रम कानून; व्यक्तिगत विधि; अंतर्राष्ट्रीय कानून; दुष्कृत्य एवं आपराधिक विधि )| आपने त्रिवर्षीय डिप्लोमा प्राकृतिक चिकित्सा और योग (एनडीडीवाई) में प्रथम श्रेणी तथा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से कानून में पीएच.डी. भी की है |
प्रोफेसर गुप्ता ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1986 से राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा में विधि व्याख्याता के पद पर की । उसके बाद 1993 से राजस्थान के विभिन्न विधि महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहीं । एमिटी लॉ स्कूल, एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान, जयपुर में प्रोफेसर और एचओडी के रूप में काम किया।
आपके मार्गदर्शन में आदिवासी क्षेत्र में कानून की शिक्षा की अलख जगाने के लिए आपको “राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार” से सम्मानित किया गया ।
अध्यापन और प्रशासनिक कार्यों के अलावा, आप लगभग 19 वर्षों तक किशोर न्यायालय बांसवाड़ा में जूरी की सदस्य रहीं। वर्तमान में, आप इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट (ILI), इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ इंडिया (IGSI) और कुछ सामाजिक संगठनों की आजीवन सदस्य हैं। डॉ. राधा गुप्ता द्वारा लिखित पांच अन्य पुस्तकें “इंटरप्रिटेशन ऑफ स्टेटयूट्स ” अँग्रेजी संस्करण ; “विधि शास्त्र एवं विधि के सिद्धांत” हिंदी संस्करण एवं अँग्रेजी संस्करण; “कानूनी भाषा, कानूनी लेखन और सामान्य अंग्रेजी” और हाल ही में अंग्रेजी में “ड्राफ्टिंग, प्लीडिंग्स एंड कन्वेयंसिंग” भी छात्रों के बीच मील का पत्थर साबित हुई हैं। डॉ. राधा गुप्ता द्वारा लिखे गए 103 से अधिक लेख विभिन्न पत्रिकाओं और समाचार पत्रों आदि में प्रकाशित हुए हैं। ऑल इंडिया रेडियो में कानूनी कार्यक्रम देती रही हैं। विभिन्न सेमिनारों और सम्मेलनों में भाग लेती रही हैं और अनेकों सेमीनारों व सम्मेलनों में अध्यक्ष के पद पर आसीन रहीं हैं|
प्रोफेसर गुप्ता विभिन्न विश्वविद्यालयों की पेपर सेटर और परीक्षक के पैनल में रही हैं।
26 फरवरी 2017 से आपने अपने ही भवन में समाज सेवा केंद्र चला रखा है जिसमें गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है।
वर्तमान में,आप राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के विधि विभाग में अतिथि प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।





