स्थापना दिवस पर बच्चों ने योग व नृत्य प्रदर्शित किये
दिनांकः 02-03-2025 डॉ राधा गुप्ता एवं डॉ प्रहलाद कुमार गुप्ता द्वारा वंचित वर्ग के छोटे बच्चों के लिये अपने स्वयं के संसाधनों से निशुल्क संचालित गोविंदपुरा, सांगानेर स्थित शिक्षा सागर सेवा विद्यालय का वार्षिकोत्सव रविवार 2 मार्च, 2025 को धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय के संचालक डॉ. प्रहलाद कुमार गुप्ता ने बताया कि दीप प्रज्ज्वलन तथा गणेश-सरस्वती वंदना के बाद वंचित वर्ग के 4 से 11 वर्ष तक के छोटे बच्चों द्वारा शरीर के समस्त अंगों के जोड़ो के व्यायाम, योगासन, सूर्यनमस्कार के साथ-साथ मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किये। समारोह में बच्चों व स्थानीय बस्ती के परिवारजनों के साथ-साथ गुप्ता परिवार तथा अनेक गणमान्य अतिथियों सहित लगभग 200 से अधिक संख्या में उपस्थिति रही।






















समारोह के सम्माननीय अतिथि अशोक गर्ग, राजस्थान स्वास्थ्य योग परिषद के अध्यक्ष दिनेश ख्ंडेलवाल, अग्रवाल समाज मानसरोवर के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीचंद मित्तल आदि ने बच्चों की प्रस्तुति तथा विद्यालय द्वारा दी जा रही निशुल्क शिक्षा सेवा की सराहना की। वरिष्ठ अधिवक्ता शिवचरण गुप्ता ने विद्यालय के नियमित 40 बच्चों को स्कूल बैग एवं जनसम्पर्ककर्मी मनीष हूजा ने चित्रकारी का सामान वितरित किया। सभी ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। समारोह में वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश रावत, आशा किरण संस्था के अध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता, स्वास्थ्य योग परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र छावड़ा, हरिचरण सिंहल, शिक्षा सागर कालोनी विकास समिति के अध्यक्ष मनोज कुमावत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सांगानेर विभाग कार्यवाह उत्तम जी, मालवीय भाग के सह-कार्यवाह गोपाल जी, सेवा भारती विद्यालय बक्सावाला के प्राचार्य रामेश्वर जी, अग्रवाल समाज प्रतापनगर के अध्यक्ष मोहनलाल अग्रवाल आदि गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। विद्यालय की संरक्षक प्रोफेसर डॉ. राधा गुप्ता ने बताया कि वंचित वर्ग के निर्धन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिये जयपुर जिले की सांगानेर कस्बे की गोविन्दपुरा जेडीए कॉलोनी के पास स्थित शिक्षा सागर कॉलोनी में अपने स्वयं के भूखंड पर 3 टिन शैड कमरों का निर्माण करा कर अपने विवाह के वर्षगांठ की तिथि 26 फरवरी, 2017 को पूर्ण विधि-विधान से पूजा हवन कर विद्यालय की स्थापना की थी। कालोनी में अधिकांश परिवार कारीगर, बेलदार, सफाईकर्मी, वेल्डर, हैल्पर, सिलाईकर्मी, पेण्टर, कारपेण्टर आदि श्रमिक वर्ग के रहते हैं। विद्यालय को 8 वर्ष पूर्ण हो गये हैं और यह नौवां स्थापना दिवस मनाया गया। विद्यालय में प्रतिदिन 2 घंटे हिन्दी, अंग्रेजी व गणित की शिक्षा के साथ-साथ योगासन व भारतीय संस्कारों की शिक्षा भी दी जाती है।
प्रारंभ में 35 बच्चों से शुरू हुए इस विद्यालय में बच्चों की संख्या अधिक होने पर 3 छोटे कमरों की बजाय पूरे 200 वर्गगज में टिनशैड का निर्माण कराया। कोरोना से पहले यहां 4 वर्ष से 12-13 वर्ष तक की आयु के लगभग 150 बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती थी। उस समय 6 शिक्षकों के साथ स्वयं गुप्ताजी भी प्रतिदिन आया करते थे। कोरोना के बाद यहां बच्चों की संख्या कम हो गई। अब 4 वर्ष से 10-11 वर्ष तक के लगभग 40-50 बच्चे प्रतिदिन 2 घंटे शिक्षा ग्रहण करते हैं। अध्ययन के साथ-साथ योगासन, खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में संस्कार की शिक्षा भी दी जाती है। अध्ययन सामग्री अर्थात पुस्तक, कॉपी, पैन इत्यादि भी निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती है।
समय-समय पर बच्चों को प्रोत्साहन हेतु कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं आयोजित कर पुरस्कार दिये जाते हैं।
विद्यालय में 3 उत्सव बड़े स्तर पर मनाये जाते हैं। पहला गणेश चतुर्थी के दिन श्री गणेश महोत्सव, दूसरा 26 फरवरी अथवा आस-पास के रविवार को स्थापना दिवस तथा तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस। इसके अलावा सभी राष्ट्रीय एवं भारतीय पर्वों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। दो बार गोपाष्टमी के अवसर पर बच्चों को बगरू स्थित रामदेव गौशाला में भ्रमण के लिये ले गये जहां बच्चों को पूरी गौशाला, गाय व गाय के उत्पादों से होने वाले लाभ आदि की व्यावहारिक जानकारी दी गई। गौशाला की गुल्लक में बच्चों ने प्रथम बार लगभग 700 रू0 का योगदान किया, दूसरी बार लगभग 850 और कल जो गुल्लक खोली उसमें 1100 रूपये का योगदान रहा है।
बच्चों पर अनुशासन की कठोरता बिल्कुल भी नहीं है। बच्चे पूर्ण रूप से स्वतत्र रहते हुए भी खेल-खेल में बहुत कुछ सीख जाते हैं। आज उनके द्वारा ग्रहण शिक्षा का प्रदर्शन बच्चों द्वारा किया जा रहा है।यहां प्रारंभ से अब तक बच्चे मानसिक दिव्यांग श्रेणी के भी आये हैं जिन्हें प्रोत्साहित किया गया। आज भी एक मानसिक दिव्यांग बच्चा आपके सामने अच्छे योगासन का प्रदर्शन करता हुआ दिखेगा। सेवा विद्यालय में मेंहदी प्रतियोगिता, खिलौने बनाओ प्रतियोगिता, रंगोली बनाओ प्रतियोगिता, प्रार्थना प्रतियोगिता, देशभक्ति गीत प्रतियोगिता, योगासान प्रतियोगिता के आयोजन किये गये। परम्परागत खेलों को प्रोत्साहित करने के लिये चंगा पौ, डाकण डिब्बा, सतोलिया जैसे खेल खिलाये गये।






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